जन्म पत्रिका के द्वादश भावो में राहु ग्रह का प्रभाव।

Rahu Ka Prabhav By Acharya Indu Prakash

भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह को छाया ग्रह माना जाता है। राहु ग्रह व्यक्ति को अनुभ ही बल्कि व्यक्ति को शुभ फल से प्रभावित भी करता है आओ जानते हैं राहु के द्वादश भावों में शुभ-अशुभ फल को । -
प्रथम भाव: दुष्ट बुद्धि, दुष्ट स्वभाव, सम्बन्धियों को ठगने वाला, मस्तक का रोगी, विवाद में विजय व रोगी होता हैं।

द्वितीय भाव: कठोर कर्मी, धन नाशक, दरिद्र, भ्रमणशीला होता हैं।

तृतीय भाव: शत्रुओं के ऐश्वर्य को नष्ट करने वाला, लोक में यशस्वी, कल्याण व ऐश्वर्य पाने वाला, सुख व विशाल को पाने वाला, भाईयों की मृत्यु करने वाला, पशु नाशक, दरिद्र, पराक्रमी होता हैं।

चतुर्थ भाव: दुखी, पुत्र-मित्र सुख रहित, निरतंर भ्रमणशील व उदर रोगी बनाता हैं।

पंचम भाव: सुखहीन, मित्रहीन, उदर-शुल रोगी, विलास में पीड़ा, भ्रमित व उदर रोगी बनाता हैं।

षष्ठ भाव: शत्रु बल नाशक, द्रव्य लाभ पाने वाला, कमर में दर्द, म्लेच्छो से मित्रता व बलवान होता हेै।

सप्तम भाव: स्त्री विरोधी, स्त्री नाशक, प्रचण्ड क्रोधी, स्त्री से विवाद करने वाला, रोगी स्त्री प्राप्त करता हैं।

अष्ठम भाव: नाश करने वाला, गुदा में पीड़ा, प्रमेह रोग, अंड वृद्धि, शत्रुओं के कारण व्याकुल व क्रोधी बनाता हैं।

नवम् भाव: क्रोध में धन नष्ट करने वाला, अल्प सुखी, निरन्तर भ्रमणशील, दरिद्री, सम्बन्धियों का अल्प सुख शरीर पीड़ा युक्त व वात रोगी बनाता हैं।

दशम भाव: पितृ सुख रहित, अभागा, शत्रुनाशक, रोगी वाहनहीन, वात रोगी

एकादश भाव: सभी प्रकार से धन, सुख का लाभ पाने वाला, सरकार से सुख, वस्त्राभूषण, पशु से लाभ, यंत्र-तंत्र विजय, मनोरथ सिद्धि को प्राप्त करने वाला।

द्वादश भाव: नेत्र रोगी, पांव में चोंट, निश्चित प्रेम करने वाला, दुष्टों का स्नेही, पाखंडी, कामी, अविवेकी, चिन्तातुर व खर्चीला होता हैं। 

यदि आप इस छाया ग्रह राहु से पिड़ित या परेशान हैं तो आप विश्व विख्यात ज्योतिषाचार्य इन्दु प्रकाश जी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

किसी परामर्श या आचार्य इंदु प्रकाश जी से मिलने हेतु संपर्क करे 9582118889

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